सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

तुम अपने अपने लगते हो..


तुम मौसम मौसम लगते हो
जो पल पल रंग बदलते हो..
तुम सावन सावन लगते हो
जो सदियों बाद बरसते हो..
तुम सपना सपना लगते हो
अक्सर ख्वाबों में दिखते हो..
तुम पल पल मुझसे लड़ते हो
पर फिर भी अच्छे लगते हो..
बात तो है शर्मीली सी
पर कहने से दिल डरता है..
लो आज तुम्हें ये कहते हैं
तुम अपने अपने लगते हो..

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